प्रोवेदिक घी (दीपावली)

प्रोवेदिक घी (दीपावली)

पर्व पुण्य दीपावली का सजे हुऐ बाज़ार, उपभोक्ता प्रोवेदिक शुद्ध घी की कर रहे पुकार.
गाय के दूध से बने घी के ग्राहक हज़ार,एक किलो के अति आकर्षक डब्बों की भरमार,

लौट आऐ अयोध्या चौदह वर्ष करवनवास, जबलक्ष्मण, माता सीता, एवं राजाश्री राम, 
दीपावली मनाई अयोध्यावासियों ने बड़ीधूमधाम, आया प्रोवेदिक शुद्ध घी उन के काम,

आनंद मगन होकर जनता ने, सहर्ष श्री राम का किया भावभीना, दिव्य, भव्य स्वागत,
शुद्ध घी के जलते दीपकों की कतारेंलगा, कांतिमय बना दी,रात थी जो काली अमावस,

दीपावली उत्सव में जनता का उल्लास दर्शाया, प्रोवेदिक शुद्ध घी दीपकों में जगमगाया,
शहर दीप्तिमय हो गया,बदली उसकी काया,जलने से शुद्ध घी के निखार शुद्धतासे आया,

नकारात्मक उर्जाओं का होता भक्षण, जलता जब प्रोवेदिक शुद्ध घी, हो जाता शुद्धिकरण,
महक भीनी-भीनी चहुँ ओर करे विचरण,हर्ष उल्लास का भाव,वायु में हर दिशा में करे वितरण,

उत्सव अति पावन, होते पूजन,धार्मिक अनुष्ठान, प्रसाद बनाने में प्रोवेदिक शुद्ध घी महान,
हवन अग्नि भड़काने में शुद्ध घीहैसकाम, पंचामृत में घृतामृत मिश्रण कर बनता काम,

प्रोवेदिक शुद्ध घी से पकवान व मिष्ठान बनाऐं, स्वाद उत्तम इतना, उँगलियाँ चाटते रह जाऐं,
दीपावली उत्सव सबके मन भाऐ, बूढे, जवान, व बच्चे सब मगन हो, घी से बने व्यंजन सराहें,

दीपावली के दीपकों में प्रोवेदिक शुद्ध घी, हर रसोई के भोजन, पकवानो में जान डाले यही,
शुद्ध व पौष्टिक, पाचन के लिऐ सर्वोत्तम घी, सुगंध अति मन मोहक, पूर्णतः शुद्ध घी की,

गुणवत्ता प्रोवेदिक शुद्ध घी की निराली, जो कर लेता एक बार सेवन अनुभव करता खुशहाली,
रहे स्वस्थ, ह्रिष्ट-पुष्ट, निरोग, आनंद मगन ऐसा, मानों प्रति दिन जीवन का मन रही दीवाली ।।

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