दुर्गा पूजा व विजयादशमी का आया पावन, मंगलमय त्यौहार,
बढ़ रही देखो प्रोवेदिक शुद्ध घी की माँग हरहाट, नुक्कड़, बाज़ार,
गुणकारी,पौष्टिक शुद्ध घी में प्रोवेदिक शुद्ध घी का प्रथम स्य़ान,
जैसे हरि पूजन में सर्व प्रथम, देवों में गणपति का होता आह्वान,
हर शुभ अवसर,पूजन का आरंभ होता प्रोवेदिक शुद्ध घी उपयोग से,
दीपक जलाने से हवन की पूर्णाहुति का दायित्व निभा, घर भर महके,
उत्सव है शुभ त्योहार का,हर घर, बाज़ार में बन रहे मिष्ठान, पकवान,
गृहणियाँ का आग्रह यही,ला दो प्रोवेदिक शुद्ध घी,पकवानों की जान,
स्वाद अनूठा घी का,सबके मन भाऐ, खुशबू शुद्ध घी की अंतर तक महकाऐ,
बनेंअति स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ,अतिथि आऐं,खाऐं, मुग्ध हो गुण गाऐं,
रसोई घरों में ले रहे एक ही नाम, प्रोवेदिक घी आऐ, भोग पाऐं श्री सीता राम,
दशहरा पर्व द्योतक धर्म विजय का,सबसे अग्रिम डंका बज रहा प्रोवेदिक घी का,
घी में सर्व श्रेष्ठ है नाम कमाया, तभी तो हर पूजन, प्रयोजन में काम है आया,
लोक प्रिय है अति प्रोवेदिक शुद्ध घी, प्रसाद इसका मोहित करे देवी,देवता भी,
रोग निरोधक शक्तियाँ घी से भरपूर, कर सेवन हर प्रकार के संक्रमण से रहें दूर,
शुद्धता ऐसी जो कर दे तन मन शुद्ध, प्रचुर मस्तिष्क होता, जागृत हो बुद्ध,
लाभ अनगिनत प्रोवेदिक घी आज़माऐं,त्योहारों में उपयोग कर अनुभव,संतुष्टि पाऐं,
उपलब्धि सहज सरल है, न खोऐं अवसर अब, निश्चित ही जा बज़ार घी खरीद लाऐं,
शुभ विजयदशमी का महोत्सव उल्लासमय,प्रोवेदिक शुद्ध घी का सदउपयोग कर मनाऐं,
उत्तम घी सेवन से स्वास्थ्य लाभ व स्वाद-सुगंध युक्त भोजनग्रहण करप्रफुल्लितहो जाऐं ।।